पौधों को लगाते समय उनको उचित दिशा में लगाना अत्यंत जरूरी होता है। ध्यान रहे भवन के उत्तर, ईशान और पूर्व दिशा में छोटे-छोटे पौधे लगाने चाहिए ताकि इनसे भवन पर पड़ने वाली प्रातः कालीन सूर्य की जीवनदायी किरणें बाधित न हो और हमें किरणों से मिलने वाली जीवनदायी ऊर्जा एवं विटामिन 'ए' और 'डी' का लाभ मिल सके। विशाल वृक्ष दक्षिण, नैऋत्य व पश्चिम दिशा में लगाए जा सकते हैं ताकि भवन पर पड़ने वाली दोपहर के बाद की गर्मी व सूर्य की हानिकारक किरणों से बचा जा सके, कई भवन, बंगले, हवेलिया व सार्वजनिक स्थान बनते वक्त बड़े वैभवशाली नजर आते हैं और वहां पर बहुत जीवंतता नजर आती है। बीस-पच्चीस साल बाद वही भवन जीर्ण-शीर्ण तथा जर्जर नजर आते हैं, और वहां पर रहने वाले लोग भी बहुत परेशान नजर आते हैं। इसका मुख्य कारण यह है, कि जब उस भवन का निर्माण हुआ था तब उत्तर, पूर्व व ईशान में लगे पेड़-पौधे छोटे थे, तथा सुबह के समय सूर्य की जीवनदायी ऊर्जा काफी मात्रा में उस भवन तक पहुंचती थी। जैसे-जैसे पौधे विशाल वृक्ष बनते गए वहां सूर्य की सकारात्मक किरणों का आना घटता गया। इसके स्थान पर नकारात्मक ऊर्जा बढ़ती गयी। इसी अनुपात में उस भवन में निवास करने वालों की परेशानियां भी बढ़ती गयी। योग्य वास्तुविद् के मार्ग-दर्शन से पेड़-पौधों को सही दिशा में लगाने से बहुत लाभ प्राप्त किया जा सकता है और वहां निवास करने वाले सुखी, संपन्न एवं प्रसन्न रह सकते हैं।