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अपनी जन्म कुंडली से जाने भूमि भवन योग-

किस व्यक्ति का मकान उसकी कमाई से आसानी से बन जाएगा, किस व्यक्ति का अपना मकान बनने मे देर लगेगी किस व्यक्ति को पुश्तैनी जायदाद मिलेगी या कौन व्यक्ति किसी अन्य के द्वारा आबंटित घर में रहेगा अथवा किस व्यक्ति को जीवन भर गृह स्वामित्व के सुख वंचित रहना होगा,यह किसी व्यक्ति की कुंडली से जान सकते है। भूमि का कारक गृह मंगल है। इसी तरह मन का कारक चंद्रमा और सम्पदा का कारक शुक्र को माना जाता है। कुंडली में इन ग्रहों की स्थिति यदि मजबूत हो, ये मार्गी हों अथवा उच्च की राशि, स्वराशि,मूल-त्रिकोण आदि में बैठे हों और किसी भी ओर से अशुभ ग्रहों के दुष्रभाव से भी दूर हों और साथ ही अशुभ भाव अर्थात् ६.८.१२ में इनकी स्थिति न हो, तो जातक को भूमि और भवन सम्पदा का सुख अवश्य मिलता है। अधिकतर ऐसे जातक को कम उम्र में ही सारी चीजों का सुख प्राप्त हो जाता है। ठीक इसके विपरीत यदि ये सारे ग्रह वक्री कमजोर नीच राशि के अथवा दुष्पभावित होकर कुंडली में बैठे हों, तो जातक के भूमि-भवन के सुख में अड़चने आती है। अधिक दुष्प्रभावित कुंडली का जातक इन सम्पदाओं के सुख से वंचित भी रह सकता है। जन्मपत्री का चौथा भाव भूमि एवं भवन से संबंध रखता है। उत्तम भवन की प्राप्ति के लिए चतुर्थेश अर्थात् चौथे भाव के स्वामी का केन्द्-त्रिकोण में स्थित होना अनिवार्य है। जन्मपत्री में मंगल की स्थिति भी सुदृढ़ होनी चाहिये।