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प्राचीन ग्रन्थों में सीढियों को भवन के नैऋत्य कोण में बनाने के निर्देश दिए गए हैं। इसी आधार पर लगभग सभी वास्तुशास्त्री नैऋत्य कोण में सीढियाँ बनाने की सलाह देते हैं। यहाँ एक बात विचारणीय है कि, जब यह शास्त्र लिखे गए थे तब सीढियाँ ठोस बनाई जाती थीं। जो नीचे से खाली नहीं होती थीं। इस प्रकार ठोस बनी सीढियाँ बहुत भारी हो जाती हैं। वास्तुशास्त्र के अनुसार नैऋत्य कोण को भारी रखना चाहिए इसलिए सीढियों को यहाँ बनाना उचित भी था। पिछले कई दशकों से सीढ़ियाँ गार्डर या स्लैब डालकर बनाई जाती हैं या दोनों ओर पतली दीवार बनाकर बीच में पत्थर रखकर बनाई जाती हैं अर्थात अब सीढियाँ ठोस नहीं बनतीं उसके नीचे की जगह खाली होती है, जिसका उपयोग किया जाता है। तात्पर्य यह कि, जब यह शास्त्र लिखा गया था उस समय की बनावट और आज की बनावट में यह एक महत्त्वूर्ण अंतर आ गया है। अब सीढ़़ियों का निर्माण कार्य उतना भारी नहीं रह गया, जितना प्राचीनकाल में रहता था। अतः आप अपनी सुविधानुसार भवन के ईशान को छोड़कर किसी भाग में भी सीढ़ियाँ बना सकते हैं। सीढी बनाते समय एक और बात का ध्यान रखना होगा कि, सीढ़ी ऊपर वाली मंजिल के लिए प्रवेशद्वार है। अतः ऊपरी मंजिल पर वास्तुनुकूल निर्माण के लिए द्वार के वास्तु सिद्धान्तों का पालन करना होगा। वास्तुशास्त्र के अनुसार सीढ़ियाँ हमेशा क्लॉकवाइज बनाना चाहिए। इसके पीछे एक वैज्ञानिक कारण है। दुनिया में पेड़ों पर चढ़ने वाली जितनी भी बेल एवं लताएँ हैं, वह सभी क्लॉकवाइज ही चढती हैं ऐटीं क्लॉकवाइज नहीं चढ़तीं। सम्भव हो तो पूरे-पूरे प्रयास करना चाहिए कि, सीढियाँ क्लॉकवाइज ही बनाएँ। कई बार क्लॉकवाइज सीढ़ी बनाना सम्भव नहीं होता है। ऐसी स्थिति में भी विशेष चिंता करने की कोई बात नहीं है। मैंने कई घरों में ऐटीं क्लॉकवाइज सीढियाँ बनी देखी हैं। मेरे अनुभव में आया है जिन घरों में ऐटीं क्लॉकवाइज सीढियाँ कई वर्षों से बनी हुई हैं, उनमे रहने वाले परिवारो को सीढियों कारण कोई परेशानियाँ नहीं आई। (मेरे स्वयं के नये घर में पिछले 15 वर्षों से ऐटीं क्लॉकवाइज सीढ़ियॉ हैं ) सीढियों की संख्या क्या हो इस पर वास्तुशास्त्र के पुराने ग्रन्थों में दो मत मिलते हैं। एक के अनुसार सीढिया विषम संख्या 3, 5, 7,9 या 11 में बनाना चाहिए तथा दूसरे मतानुसार सीढ़ियों की संख्या इतनी होनी चाहिए कि, संख्या में 3 का भाग देने पर 2 शेष रहे जैसे - 5, 8, 17 सीढियाँ। इसके पीछे अलग अलग तर्क हैं परन्तु सबसे प्रभावी तर्क यह है कि, आदमी दाँये पैर को सबसे पहले रखते हुए घर के अंदर प्रवेश करे।