आजकल वास्तुदोेष निवारण में लेचर ऐटिना, औरा स्कैनर, पिरामिड को जादू के पिटारे की तरह प्रस्तुत किया जा रहा है। आज वास्तुशास्र के नाम पर लूटने वाले पिरामिड को वास्तुदोष निवारक एवं धन समृद्धिदायक कहते है, यह पचास, सौ रुपये से लेकर पाँच हजार तक के पिरामिड बाजार में उपलब्ध हैं यह लक्ष्मी पिरामिड, मंगल पिरामिड स्वस्तिक पिरामिड नवग्रह पिरामिड, वृहत पिरामिड, पिरामिड का लॉकेट, ब्रेसलेट, अँगूठी, आदि आकृति में मिलने लगी हैं जो ज्यादातर प्लास्टिक, तांबे की बनी होती हैं। जो किसी प्रकार की ऊर्जा का संचार नहीं कर पाती हैं। यूँ भी सच तो यह है कि पिरामिंड का सुख-समृद्धि से कोई लेना-देना नहीं है, इसका उपयोग मात्र शीघ्र नष्ट हो जाने वाली वस्तुओं को लम्बे समय तक सुरक्षित रखने के उपाय से है। इजिप्ट जहाँ से विश्व को पिरामिड का ज्ञान मिला वहाँ पर भी इसका उपयोग मात्र शवों को सुरक्षित रखने के लिए किया गया, हमारे देश में लगभग सन 2000 के आस-पास तथाकथित वास्तुशास्त्रियो ने जो अपने आप को (पायराविद) कहते हैं अपने निजी लाभ के लिये आस्था के प्रतीक चिह्न को पिरामिड रूप मे प्रस्तुत कर वास्तु के साथ जोड़ दिया है जो पूर्णतः गलत एवं अवैज्ञानिक है। स्वस्तिक सहित मांगलिक चिहों का वास्तु मे महत्व है, इनके उपयोग से व्यक्ति की सकारात्मक सोच विकसित होती है, किन्तु इसी पवित्र चिह्न के साथ पिरामिड बना देने से न सिर्फं उसका मूल स्वरूप विकृत होता है, बल्कि वह अमंगलकारी भी हो जाता है। पिरामिड के उपयोग में महत्वपूर्ण बात यह है कि जिस वस्तु को सुरक्षित रखने के लिए पिरामिड का प्रयोग करना है। उस वस्तु के आकार से पिरामिड का आकार बड़ा होना चाहिए, साथ ही सही परिणाम पाने के लिए पिरामिड को इस प्रकार रखना होगा कि उसकी एक बाजू उत्तर दिशा में रहे, कोने में न रहे। पिरामिड चिकित्सा में सिरदर्द के लिए पिरामिड का आकार सिर से बड़ा होता है आँखों पर पिरामिड का उपयोग करते हैं तो आँखों से बड़े आकार का होता है साग-सब्जी को सुरक्षित रखने के लिए करते हैं तो साग-सब्जी के टोकरे से बड़े आकार का होता है, दूध को सुरक्षित रखने के लिए करते हैं तो दूध के बर्तंन से बडे आकार का होता है,जहाँ फार्म हाउस में साग-सब्जी उगाने के लिए पिरामिड का प्रयोग करते हैं,वहाँ भी पिरामिड के बड़े-बड़े स्ट्रक्चर बनाए जाते हैं। इसका मतलब तो यह हुआ कि यदि किसी मकान,दुकान,प्लॉट इत्यादि का वास्तु दोष निवारण करना है तो पिरामिड के सिद्धांत अनुसार उससे बड़े आकार का पिरामिड बनाकर उसके ऊपर रखना चाहिए। सच तो यह है कि तथाकथित वास्तुशास्त्रियो ने अपने लोभ, लालच के लिए पिरामिड का दुरुपयोग जोर-शोर से करना शुरू कर रखा है और अब तो इसे पायरा वास्तु नाम देकर लोगो को बुरी तरह से गुमराह किया जा रहा है। मिस्र में भी शव रखने के लिए बड़े आकार के विशालकाय पिरामिड बनाए गए हैं पिरामिड के विशेष भौमितिक आकार के कारण उसके पांचों कोनों (चार बाजू तथा एक शिखर) में एक विशेष प्रकार की ऊर्जा पैदा होती है, जो पिरामिड के अंदर एक तिहाई ऊँचाई पर घनीभूत होती है। इस बिंदु को फोकल ज्वांइट कहते हैं। इसी स्थान पर मृत शरीर को ममी बनाकर लकड़ी के बक्से में रखा जाता था, वह स्थान किंग्स चैम्बर कहलाता है। पिरामिड के केवल इसी भाग, किंग्स चैम्बर में अत्यधिक ऊर्जा होने के कारण उसमें हजारों सालों तक ममी सुरक्षित एवं यथावत रह पाई और उनमें किसी प्रकार का विकार उत्पन्न नहीं हुआ दुनियाभर के लगभग सभी धार्मिक स्थलों के गर्भगृह के ऊपर बने गुंबद काफी बड़े आकार के होते हैं जो कि पिरामिड का ही एक रूप है। कई तो पिरामिड के आकार के ही हैं।जितने बड़े आकार के गुंबद होते हैं उतनी ही ज्यादा सकारात्मक ऊर्जा वहाँ होती है। यह पिरामिड आकृति भी अन्य वास्तुदोष होने पर कुछ लाभ नहीं दे पाती है। यदि पिरामिड आकृति से वास्तुदोष दूर होते तो सभी धर्मिक स्थानों पर एक जैसी भीड़़-भाड़ होती, हमें अपनेआस-पास ही ऐसे कई धार्मिक स्थान देखने को मिलते हैं जहा पिरामिड जैसा गुम्बद बना होने के बाद भी दर्शनार्थियों की संख्या नहीं के बराबर होती है। असल में यह वह धार्मिक स्थान होते हैं जो वास्तु सिद्धान्तों के अनुकूल नहीं बने होते। अब आप ही सोचिये कि यह छोटे-छोटे दो चार इंच आकार के पिरामिड किस तरह किसी भवन या भूमि का वास्तुदोष दूर कर सकते हैं। वैज्ञानिक प्रयोगों द्वारा यह प्रमाणित हो चुका है कि, पिरामिड के अंदर विलक्षण ऊर्जा तरंगें लगातार काम करती रहती हैं,जो जीवित और निर्जीव दोनों ही प्रकार की वस्तुओं पर प्रभाव डालती हैं। वैज्ञानिकों ने पिरामिड की इन तरंगों को 'पिरामिड शक्ति' का नाम दिया है। आप जानते ही होंगे जिस प्रकार रेडियो की तरंगों से टी.वी. नहीं चलाया जा सकता, और टी.वी. की तरंगों से मोबाइल नहीं चलाया जा सकता, जिस ऊर्जा से ट्रेन को चलाया जा सकता है उस ऊर्जा से कार को नहीं चलाया जा सकता। इससे स्पष्ट होता है कि, विभिन्न प्रकार के कार्यं को करने के लिए अलग-अलग ऊर्जा का उपयोग किया जाता है। इसी प्रकार पिरामिड की ऊर्जा से वास्तुदोष को दूर नहीं किया जा सकता है। हा ध्यान एवं चिकित्सा के क्षेत्र में इसका प्रयोग सदियों से किया जा रहा है, जो होता भी रहेगा। पायराविदो की एक बात मुझे आज तक समझ नहीं आई कि एक ओर तो वह यह कहते हैं कि,पिरामिड में विशेष ऊर्जा का संचार होता है और दूसरी ओर उसी पिरमिंड को अपने द्वारा विशेष पूजा करके चार्ज करने की बात कहते हैं। जब आप कार स्कूटर, फ्रिज, मोबाइल, टी.वी. इत्यादि किसी भी प्रकार की वस्तु खरीदते हैं तो क्या दुकानदार आपको देने के पहले उसे पूजा करके चार्ज करता है? अब आप सोचिए कि इसका सच क्या है? पिरामिड चार्ज करने के पीछे सच्चाई यह है कि जब पायराविद होशियारी से किसी को वास्तुदोष निवारण में पिरामिड के उपयोग के लिए तैयार कर लेता है तो ऐसे में पायराविदों के लिए बीस-तीस रुपये की लागत वाले पिरामिड को पांच सौ, हजार रुपये में बेचने के लिए चार्ज करने की बात कहना आवश्यक हो जाती है। यदि पायराविद पिरामिड को चार्ज करने के जाल में नहीं फंसाएंगे तो लोग बाजार से चार सौ पांच सौ रुपये दर्जन की कीमत में मिलने वाले पिरामिड खरीदकर अपने घर में स्थापित कर लेंगे। अब इससे आप समझ सकते हैं कि पिरामिड को चार्ज करने के लिए विशेष जोर क्यों दिया जाता है, और इसके पीछे उनका असली मकसद क्या है? आज तक मुझे ऐसा आदमी नहीं मिला, जिसने कहा हो कि महत्वपूर्ण वास्तुदोष में पिरामिड के प्रयोग से उन्हें लाभ हुआ है। ऐसे कई लोग अवश्य मिले, जिन्होंने बहुत महँगे दामों में पूजा-पाठ से चार्ज कर सिद्ध किये हुए पिरामिड खरीदकर दुकान, मकान, फैक्ट्री, ऑफिस इत्यादि में स्यापित किए पर किसी को भी फायदा नहीं हुआ। उदाहरण के लिये किसी घर के नैऋत्य कोण में मुख्यद्वर हो और द्वार के पास ही भूमिगत पानी का स्रोत जैसे कुआँ, बोर,अण्डर ग्राउण्ड वॉटर टैंक हो और घर के पीछे यानी ईशान कोण में टॉयलेट हो तो, यह एक महत्वपूर्ण वास्तुदोष है इस दोेष के कारण उस घर में रहने वाले का जीवन सुखद हो ही नहीं सकता। ऐसे कई महत्वपूर्ण वास्तुदोष होते हैं, जिनके कारण आर्थिक, मानसिक और शारीरिक कष्ट, भय,अनहोनी, बदनामी,परिवार में कलह, संतानहीनता, बच्चों का गलत रास्तों पर चलना, लोगों से गम्भीर वाद-विवाद होना,कोर्ट-कचहरी, इत्यादि गंभीर परेशानियाँ रहती हैं। ऐसी स्थिति में आप अपने मकान, दुकान, ऑफिस, फैक्ट्री इत्यादि में सामान्य पिरामिड, पूजा-पाठ द्वरा चार्ज एवं सिद्ध किये हुए पिरामिड, एक नहीं हजारों रख दीजिये या गाड़ दीजिये मेरा दावा है कि, उस घर में रहने वालों को एक नये पैसे का लाभ नहीं होगा। वास्तुदोष निवारण में पिरामिड का उपयोग करने वाले दो-चार प्रतिशत लोग ऐसे हो सकते हैं, जो यह कहे कि वास्तुदोष निवारण मे पिरामिड के उपयोग से उन्हें लाभ हुआ है। निश्चित रूप से उन्होंने पिरामिड के उपयोग के साथ-साथ घर की बनावट में भी कुछ वास्तुनुकूल परिवर्तन किए होंगे। इसलिए उन्हें लाभ भवन की बनावट में वास्तुनुकूल परिवर्तन से हुआ न कि पिरामिड के उपयोग से। वास्तुशास्र एक विज्ञान है। अत: वास्तुदोषों का निवारण भी वैज्ञानिक तरीके से ही करना चाहिए। वास्तुदोष होने पर किसी भी प्रकार के, यंत्र-तंत्-मंत्र, पिरामिड, कुछ गाड़ना या लगाना सब व्यर्थ होता है केवल समय ओर पेसो का बरबाद करना है। ऐसे दावा करने वाले लोगो से सावधान रहना चाहिए। यदि किसी मंदिर का वास्तु-विन्यास ठीक न हो तो वहाँ भी ज्यादा लोग दर्शन करने नहीं जाते, मंदिर में चढ़ावा भी ठीक नहीं आता, जबकि ईश्वर स्वयं वहां विराजमान रहते हैं।।